लेखनी कविता -है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये -गोपालदास नीरज

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है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये -गोपालदास नीरज  है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए  जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए  रोज़ जो चेहरे बदलते है लिबासों ...

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